अँधेरा है और मैं अकेली
तुम्हारी बांहों में होने का सपना देख रही हूं।
अंधेरी रात बीत जाती है
और मेरी आवाज में कुछ आँसू हैं ।
रास्ता इतनी लम्बा था
तुम तक पहुँचने के लिए,
और तुमने मुझे समझाया :
“किसी भी हालत में रुकना मत । "
मैं एक फिर देखती हूं,
आईने में, पर मुझे खुद में कुछ ऐसा नज़र नहीं आता
जो तुम्हे लुभा सके
तब मैं मौन में चली जाती हूँ और कुछ शब्द लिखना शुरू कर देती हूँ
ताकि भूल पाऊं की मुझ में कुछ ऐसा नहीं
जो तुम्हे लुभा सके
जो तुम्हे लुभा सके.....
मेरे आसपास
ये सभी लोग जो कतार में लगे हुए हैं
लेकिन इन सब को मिला कर
मुझे डर है कि उनमें से कोई एक भी ऐसा नहीं है।
जिसमें रत्ती भर भी ऐसी मनोहरता हो जो तुम में है
और तमने मुझे कहा :
"यहीं रहो, मैं बस आ रहा हूँ ।"
मैं एक फिर देखती हूं,
आईने में, पर मुझे खुद में कुछ ऐसा नज़र नहीं आता
जो तुम्हे लुभा सके
तब मैं मौन में चली जाती हूँ और कुछ शब्द लिखना शुरू कर देती हूँ
ताकि भूल पाऊं की मुझ में कुछ ऐसा नहीं
जो तुम्हे लुभा सके
जो तुम्हे लुभा सके.....
तब मैं मौन में चली जाती हूँ और कुछ शब्द लिखना शुरू कर देती हूँ
ताकि भूल पाऊं की मुझ में कुछ ऐसा नहीं
जो तुम्हे लुभा सके