क्या लगता तुम्हें?
अगर हो जाऊँ फ़रार तो क्या मुझे बचाया जा सकता?
नहीं हैं अंदाज़ा कब तुम मुरझा जाओ
बताओ मुझे अब नहीं कर सकती इंतेज़ार
मैं सीख रही तेज़ी से और नहीं पीछे मुड़ सकती
मर चुकी लाखों बार जब गये तुम छोड़ कर
जब कहा था तुमने अलविदा
क्या लगता तुम्हें?
क्या तुम बोल सकते हो मुझे बचाया जा सकता?
दिल मेरा हैं भाव शून्य नहीं सोच सकती हूँ दोबारा
बताओ,क्यूँ,ओह,क्यूँ?
मैं क्यूँ अटक चुकी हो कल में
मैं कोशिश करती समझने का ये देता बहुत दर्द
कब तक यह नहीं होगा ख़त्म?
मैं गुज़रती तूफ़ानो से
जवाब है आकाश में
कि जो कुछ भी मैं आज हूँ सिर्फ़ तुम्हारे वजह से हूँ (ओह)
मगर पता मुझे नहीं मैं मरूँगी
जियूँगी तुम्हारे प्यार के बिना मैं
ले लूँगी वापिस हर शब्द
हर औरत के आँसू
क्या लगता तुम्हें?
बोलो ज़ोर से,बोलो मेरी आत्मा में
सर्द समय नहीं बदलेगा अब
यही बताया गया था मुझे
खोया खुद को मैंने तुम्हारी मदद के बिना
मैं सीधे जा पहुँची नर्क में या फिर स्वर्ग में?
शायद, पता नहीं
मैं गुज़रती तूफ़ानो से
जवाब है आकाश में
कि जो कुछ भी मैं आज हूँ सिर्फ़ तुम्हारे वजह से हूँ (ओह)
मगर पता मुझे नहीं मैं मरूँगी
जियूँगी तुम्हारे प्यार के बिना मैं
ले लूँगी वापिस हर शब्द
हर औरत के आँसू
मैं गुज़रती तूफ़ानो से
जवाब है आकाश में
कि जो कुछ भी मैं आज हूँ सिर्फ़ तुम्हारे वजह से हूँ (ओह)
मगर पता मुझे नहीं मैं मरूँगी
जियूँगी तुम्हारे प्यार के बिना मैं
ले लूँगी वापिस हर शब्द
हर औरत के आँसू
मैं गुज़रती तूफ़ानो से
जवाब है आकाश में
कि जो कुछ भी मैं आज हूँ सिर्फ़ तुम्हारे वजह से हूँ (ओह)
मगर पता मुझे नहीं मैं मरूँगी
जियूँगी तुम्हारे प्यार के बिना मैं
ले लूँगी वापिस हर शब्द
हर औरत के आँसू
मैं गुज़रती तूफ़ानो से
जवाब है आकाश में
कि जो कुछ भी मैं आज हूँ सिर्फ़ तुम्हारे वजह से हूँ (ओह)
मगर पता मुझे नहीं मैं मरूँगी
जियूँगी तुम्हारे प्यार के बिना मैं
ले लूँगी वापिस हर शब्द
हर औरत के आँसू