तुम जा सकती हो
तुम्हें रोकना बेवकूफी होगी
मेरी गरीबी में कोई बदलाव नहीं आएगा
और तुम अपनी किस्मत आज़मा चाहती हो
तुम्हारे विचार में
तुम्हारी यह भावना तुम्हें कहीं ले जाएगी
पहले विश्वासघात
फिर एक ग्राहक को साथी बना लिया
तुम्हें पता चल जाएगी
उस चीज़ की कीमत जो हमें आत्मा देती है
तुम जान जाओगी कि हर चीज़ जो खरीदी जाती है
उसमें कोई जान नहीं होती
एक दिन तुम्हें इस बात का बोध होगा
कि कौन सी चीज़ तुम्हारा साथ पहले छोड़ेगी
जो तुम्हें मुझ से मिला
या उनके पैसों का ढेर
हम अब एक दूसरे को फिर कभी नहीं देखेंगे,
हम देखेंगे कि कौन अतप्त महसूस करता है,
रात में उनकी गरमाहट में
जब तुम्हें मेरी याद आ रही होगी
एक दिन तुम्हें इस बात का बोध होगा
कि कौन सी चीज़ तुम्हारा साथ पहले छोड़ेगी
जो तुम्हें मुझ से मिला
या उनके पैसों का ढेर
हम अब एक दूसरे को फिर कभी नहीं देखेंगे,
हम देखेंगे कि कौन अतप्त महसूस करता है,
रात में उनकी गरमाहट में
जब तुम्हें मेरी याद आ रही होगी