अक्सर मुझे नींद नहीं आती और मैं तुम्हारे बारे बारे में सोचता रहता हूं,
मैं घर पर बंद हूं और ख़ामोशी मेरी दोस्त है।
जबकि शीशों के पीछे बर्फ गिर रही है,
मैं अंगीठी के करीब बैठ कर तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं।
इस सर्दी में कुछ गड़बड़ है
और जीवन में पहली बार कोई क्रिसमस नहीं है,
हालाँकि, एक साल पहले यह वही था,
चलो आशा करते हैं कि यह खत्म नहीं हुआ है।
मुझ में कितनी चाह है, कितनी चाह है, मेरी प्रिय ,
कि तुम भी मुझे उतना प्यार करो जितना प्यार मैं तुम्हे करता हूं,
कि यह इतनी दुखदायी, इतनी नीरस शाम जो तुम्हारे बिना घट रही है
वह ऐसी कभी भी न हो
मुझ में कितनी चाह है, कितनी चाह है, मेरी प्रिय ,
मैं कितना चाहूंगा कि यह प्यार जो मेरा साथ छोड़ रहा है
इसका अंत ऐसे न हो जैसे बर्फ का सूरज की तपस से होता है
बिना कुछ कहे
मुझे तुम्हे समझना होगा; जब भी मैं तुम्हे कहीं जाते हुए देखूं
तो मुझे तुम्हारी ख्वाइश के बिना प्यार करने की ज़िद नहीं करनी चाहिए
और किसी किस्म की जलन मेरे मन में नहीं उठनी चाहिए
ऐसा केवल तुम्हारे प्यार से हो पाएगा
मुझ में कितनी चाह है, कितनी चाह है, मेरी प्रिय ,
कि तुम भी मुझे उतना प्यार करो जितना प्यार मैं तुम्हे करता हूं,
कि यह इतनी दुखदायी, इतनी नीरस शाम जो तुम्हारे बिना घट रही है
वह ऐसी कभी भी न हो
मुझ में कितनी चाह है, कितनी चाह है, मेरी प्रिय ,
मैं कितना चाहूंगा कि यह प्यार जो मेरा साथ छोड़ रहा है
इसका अंत ऐसे न हो जैसे बर्फ का सूरज की तपस से होता है
बिना कुछ कहे
और इस दफा तकिए पर पड़े तुम्हारे निशान मिटाने
कोई दूसरी स्त्री नहीं आएगी
मैंने चाँद से भी पूछा है
उसे भी मेरे नज़दीक आने में कोई दिलचस्पी नहीं है