सूरज की रोशनी मद्धम होती हुई सियाह हो जाती है
और मैं अभी भी तन्हा हूँ
कोई नहीं समझ पाता
मुझे खुद ही ऐसा करना क्यों ज़रूरी है
मुझे जो चाहिए मैं उसे हमेशा ही दूर धकेलती हूँ
मैं हमेशा ऐसा करती हूँ कि तुम मुझे छोड़ दो
पर तुम हमेशा मेरे पास बने रहते हो
मैं खुद से संघर्ष करती रहती हूँ कि तुम्हारे करीब न आ जाऊँ
मैं तुम्हारे आकर्षण से बचने कि कोशिश में रहती हूँ
मुझे डर लगता है क्योंकि मैं नहीं जानती कि
क्या होगा अगर मैं तुम्हारी बाहों में गिर जाऊँ
क्या मैं तुम्हारी बाहों का भरोसा कर सकती हूँ
क्या मैं तुम्हारी बाहों का भरोसा कर सकती हूँ
मेरे आँसू हमेशा छुप जाते हैं
जब भी मैं तुम्हारी आँखों में देखती हूँ
लेकिन अब मुझे पता चला है कि तुम मेरे सहज रोने में सुंदरता देखते हो
आसमान आज धूसर हो रहा है
तो मैं उदास हो सकती हूँ
मैं सीख रही हूँ कि यह प्यार ही है कि मैं जो सब हूँ तुम्हारे सामने हूँ
मैं खुद से संघर्ष करती रहती हूँ कि तुम्हारे करीब न आ जाऊँ
मैं तुम्हारे आकर्षण से बचने कि कोशिश में रहती हूँ
मुझे डर लगता है क्योंकि मैं नहीं जानती कि
क्या होगा अगर मैं तुम्हारी बाहों में गिर जाऊँ
क्या मैं तुम्हारी बाहों का भरोसा कर सकती हूँ
क्या मैं तुम्हारी बाहों का भरोसा कर सकती हूँ
मैं आज डरी हुई हूँ
कृपया दूर रहो
कल मैं मजबूत हो जाऊंगी
तुम मेरा हाथ थाम लेना
और मेरा दिल थाम लेना
और तुम मुझे करीब आने देना
सूरज की रोशनी मद्धम होती हुई सियाह हो जाती है
और मैं अभी भी तन्हा हूँ
कोई नहीं समझ पाता
मुझे खुद ही ऐसा करना क्यों ज़रूरी है
मैं खुद से संघर्ष करती रहती हूँ कि तुम्हारे करीब न आ जाऊँ
मैं तुम्हारे आकर्षण से बचने कि कोशिश में रहती हूँ
मुझे डर लगता है क्योंकि मैं नहीं जानती कि
क्या होगा अगर मैं तुम्हारी बाहों में गिर जाऊँ
क्या मैं तुम्हारी बाहों का भरोसा कर सकती हूँ
क्या मैं तुम्हारी बाहों का भरोसा कर सकती हूँ