डगरिया! वक्त ने तुम्हे फ़ना कर दिया है
तुमने एक दिन हमें एक साथ इधर आते हुए देखा था
मैं आखिरी बार आया हूं,
मैं तुम्हे अपना दर्द बताने आया हूं।
डगरिया तुम उन दिनों अपने दोनों तरफ
तिपतिया और नरकुल के फूलों से आच्छादित थी ,
पर जल्द ही तुम्हे एक छायामात्र हो जाना था
बस एक साया बिल्कुल मेरी तरह।
जब से वह गई है ,
मेरा जीवन उदासी से भरा है ,
डगरिया , मेरी मित्र
मैं भी जा रहा हूँ।
जब से वह चली गई
वह कभी वापस नहीं आई,
मैं उसके क़दमों के पीछे-पीछे जाऊँगा ,
डगरिया मैं तुम्हे अलविदा कहता हूँ ।
डगरिया, मैं हर दोपहर इधर से आता था
और अपने प्यार के गीत गाकर खुश था ,
अगर वह कभी वापस आए तो उसे मत बताना कि
मेरे आंसुओं से तुम्हारी मिट्टी तर है ।
डगरिया तुम अब भटकटैया के काँटों से ढँक गई हो
समय के हाथ ने तुम्हारा नामोनिशान मिटा दिया है ;
मैं तुम्हारी बगल में गिरना चाहूंगा
ताकि वक्त हम दोनों को ख़त्म कर दे
जब से वह गई है ,
मेरा जीवन उदासी से भरा है ,
डगरिया , मेरी मित्र
मैं भी जा रहा हूँ।
जब से वह चली गई
वह कभी वापस नहीं आई,
मैं उसके क़दमों के पीछे-पीछे जाऊँगा ,
डगरिया मैं तुम्हे अलविदा कहता हूँ ।