तुम हो सकते हो लाजवाब
तुम बना सकते हो वाक्यांश को हथियार या एक ड्रग
तुम हो सकते हो पिछड़ी जात
या वो प्रतिक्रिया किसी की
प्यार की कमी की कारण हो जो
या तुम शुरू कर दो आवाज़ उठाना
कुछ भी नहीं देगा दर्द तुम्हें जैसे देते वो शब्द हैं
जब वो दब के बैठे हो तुम्हारे अंदर
अंदर ही बसे हो और कोई सूर्य की रोशनी नहीं
कभी कभी एक छाया सी जीत जाती
मगर मैं सोचूँ क्या हो अगर तुम
कहो जो कहना हैं
और शब्दों को बाहर आने दो
सच कहूँ,मैं देखना चाहूँ तुम्हें बहादुर
जो तुम कहना चाहो उस से
मैं देखना चाहूँ तुम्हें देखना बहादुर बनते
हर कोई गुज़र चुका उससे
हर किसी पे बुरी नज़र डाली थी दुश्मन ने
डर से घबराके और कुछ ग़ायब हुए
झुका के सर शक्तिशाली के सामने
मत भागो, रोको मत अपनी ज़बान
शायद हैं रास्ता बाहर आने का उस पिंजड़े से जहाँ रहते तुम
शायद आने वाले किसी दिन तुम आने दो अंदर रोशनी को
दिखाओ कितना बड़ा हैं तुम्हारा बहादुर होना
[कोरस]
और जबसे तुम्हारी चुप्पी का इतिहास
नहीं करेगा कुछ भी अच्छा
क्या तुमने सोचा था वो करेगा?
होने दो तुम्हारे शब्द जो भी मगर नहीं हो खोकले
क्यूँ नहीं तुम बता देते उनको सच?
[कोरस]