दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं
बीते लम्हें जब भी याद आते हैं
दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं
बीते लम्हें जब भी याद आते हैं
चंद लम्हात के वास्ते ही सही
मुस्कुराकर मिली थी मुझे जिन्दिगी
चंद लम्हात के वास्ते ही सही
मुस्कुराकर मिली थी मुझे जिन्दिगी
तेरी अहोस में दिन थे मेरे कटे
तेरी बाहों में थी मेरी रातें कटी
आज भी जब वो पल मुझको याद आते हैं
दिल से सरे गमों को भुला जाते हैं
दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं
बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं
दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं
बीते लम्हें हमें जब भी याद आते हैं
मेरे कांधे पे शीर को झुकाना तेरा, मेरे सीने में खुदको छुपाना तेरा
मेरे कांधे पे शीर को झुकाना तेरा, मेरे सीने में खुदको छुपाना तेरा
आके मेरी पनाहों में शाम शहर, कांच की तरह वो टूट जाना तेरा
आज भी जब भी वो मंजर नजर आते हैं, दिल की वीरानियों को मिटा जाते हैं
दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं
बीते लम्हें जब भी याद आते हैं
दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं
बीते लम्हें जब भी याद आते हैं
दर्द में ....
बीते लम्हें ....