लाठी लेकर बीन बजाता बंदर जा पहुँचा ससुराल
आया बंदरी को लेने,कौन बनाए रोटी दाल
काम पर रोज़ मैं जाऊँ ,पैसे कमाके लाऊँ
थका भूखा सो जाऊँ मैं ,कोई ना रखे मेरा ख़याल
लाठी लेकर बीन बजाता बंदर जा पहुँचा ससुराल
आया बंदरी को लेने,कौन बनाए रोटी दाल
घर के सारे काम मैं करती ,पैसे बचाकर भी मैं रखती
तुम्हें खिलाती फिर मैं खाती ,ना तुम रखते मेरा ख़याल
फिर ना होगी गुस्ताखी , ना करूँगा मनमानी
हुई मुझसे गलती ,अब रखूँगा रोज़ तेरा ख़याल
लाठी लेकर बीन बजाता बंदर जा पहुँचा ससुराल
आया बंदरी को लेने,आज मैं बनाऊँ रोटी दाल