मूर्खता, कपट, पाप, लालसा
हमारे मन को संचालित करते हैं और हमारे शरीर को दुर्बल कर रहे हैं,
और हम बेअसर पछतावे से लगातार अपने मन का पालन पोषण कर रहे हैं जैसे खुजली ग्रस्त भिखारी अपने शरीर पर कीटाणु पालते हैं।
हमारे पाप हठी हैं, हमारे पश्चाताप में दम नहीं;
हम अपनी कमजोर प्रतिज्ञायों की कुछ ज्यादा ही कीमत आंकते हैं। यह समझ कर कि हमारे आंँसुओऺ से हमारे गुनाहों की सज़ा खत्म हो गई है, हम और बढ़े गुनाहों की तरफ खिंचे चले जाते हैं । घूम फिर कर हम वही करते रहते हैं जिसे न करने की हम कसमें खाते हैं ।
हम बुराई के पालने में पड़े हैं और महान जादूगर शैतान
हमारी आत्माओं को झुला रहा है और हम उसके सामने बेबस हैं
और हमारी इच्छा शक्ति का महान धातु
इस बुद्धिमान कीमियागर द्वारा पूरी तरह से वाष्पीकृत हो गया है।
शैतान के हाथ में हमारी डोर है । वह अपनी इच्छा से हमें घुमाता रहता है।
प्रतिकूल चीज़ों में हम आकर्षण खोजते हैं और शैतान हमारे कदमों को हर दिन नर्क की तरफ धकेलता रहता है। बिना खौफ हम बदबूदार भयानक जगहों से गुजर जाते हैं
जैसे एक वासनापूर्ण कंगाल भिखमऺगा बूढ़ी वेश्या के क्षति ग्रस्त और मुरझाए स्तनों को चूम कर और दांतों से काट कर वेदना पहुंचाता है, वैसे ही हम हर जगह से गुप्त विलासों को चुराते हैं और ऐसे निचोड़ते हैं जैसे सूखे हुए संतरो से जोर लगा कर बचा खुचा रस निकाला जाता है।
हमारे दिमाग में पूरे दल बल से कीट पतंगों के छत्ते की तरह
राक्षसों की सेना मौजूद है
और जब हम सांस लेते हैं तो हमारे फेफड़ों से
मौत की एक अनदेखी नदी विलाप करती हुई चल निकलती है।
यदि बलात्कार, ज़हर, खंजर , आगजनी
अभी तक हमारी जिंदगी के
नीरस कैनवस पर सुखद चित्र नहीं बन सके
तो केवल इसलिए क्योंकि हममें इतना दम नहीं
लेकिन गीदड़, तेंदुए, शिकारी कुत्ते
वानर, बिच्छू, गिद्ध, साँप,
राक्षसों जैसी भयानक शक्लें बना कर गुर्राते है,उमेठते है, कलोलते हैं, रेंगते है
हमारे अँदर के पापों के चिड़याघर में
हमारे अंदर इनके अलावा एक और कहीं ज़्यादा बदसूरत, कहीं अधिक दुष्ट चीज़ है
जो न रेंगती है, न गुर्राती है, न चीखती है
वह स्वेच्छा से पृथ्वी को एक झटका देकर मलबा बना सकती है
और, एक जंभाई में, दुनिया को निगल सकती है ।
वह ऊब (बोरियत) है! उसकी आँखों में आँसू हैं जो वह दबा नहीं सकती । वह हुक्का पीते हुए फांसी की टिकठी का स्वपन लेती है।
लगता है तुम इस परिष्कृत दैत्य को जानते हो
ढोंगी पाठक, मेरे हमराह, मेरे भाई ।