अजनबी जैसे मत दिखो
पत्थर जैसे कठोर
मैंने तुम्हें अपने बदन का वह हिस्सा दिखाया है
जिसे सूरज की रोशनी भी अभी छू नहीं पाई
और इतने तिल और रमणीक चिन्ह जिनके बारे में मैं खुद भी नहीं जानती थी
मैंने तुम्हें अपनी पाशविक शक्ति दिखाई
अपनी कमज़ोरी भी , अपनी काव्य की भावुकता भी
क्या यह सब कुछ तुम्हारे लिए बस एक याद बन कर रह जायेगा
मैं इसका क्या करूंगी अगर मैं तुम्हें बाद में देख नहीं पाऊँगी
ओह ओह
अगर उस दिन से जब तुम दिखाई नहीं दिए
मैंने देखा कि रात छह बजे से बहुत पहले आ जाती है
अगर उस दिन से जब तुम दिखाई नहीं दिए
मैंने देखा कि रात छह बजे से बहुत पहले आ जाती है
बहुत पहले
नाव छोड़ने का कया अभिप्राय है
जब हमने अभी तक इसका पाल ही नहीं चढ़ाया
किसी निर्जन द्वीप की ओर
और बाद में, बाद में हम देखेंगे
अगर तुम मुझे निहत्थे पाते हो
क्योंकि तुम अपनी मिसाइलें दागते हो
यदि आप पहले से ही मेरे मुख्य बिंदुओं को जानते हो
सबसे संवेदनशील और बारीक
तुम क्या करोगे, जिंदगी बताएगी
अगर मैं तुम्हें फिर से नहीं देखूंगी तो मैं क्या करूंगी
ओ ओ
अगर उस दिन से जब तुम दिखाई नहीं दिए
मैंने देखा कि रात छह बजे से बहुत पहले आ जाती है
अगर उस दिन से जब तुम दिखाई नहीं दिए
मैंने देखा कि रात छह बजे से बहुत पहले आ जाती है
छह बजे से बहुत पहले
बहुत पहले