हाँ तो नमस्ते !
तुम्हारे शहर में कैसा चल रहा है?
कितना खाली, कितना अकेला!
और तुमने चादरें बिछा दी हैं
हाँ तो नमस्ते !
लेकिन कम से कम आकाश तो पहले से
कहीं अधिक साफ़ और अधिक पारदर्शी है
हम सितारों से परे देख पा रहे हैं
फिर पहले की तरह
लोग आपस में गले मिलेंगे
और सूरज फिर से त्वचा पर होगा
आजादी होगी
गली में दौड़ने की
स्टेशनों और बस-अड्डों परअपनों को प्यार से चूमने की
और अचानक एक दूसरे की आँखों में देखो और फिर कहो
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
एक दूसरे की आँखों में देखो और फिर कहो
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
मुझे यह पता है
हाँ तो नमस्ते !
तुम्हारी आवाज में संगीत है
जो इस कमरे को भर देता है
और दूरियों को दूर कर देता है
हाँ तो नमस्ते !
जहाँ हो वहीं रहो , क्योंकि
यह रात थोड़ी अँधेरी है
सन्नाटा डराता है
फिर पहले की तरह
लोग आपस में गले मिलेंगे
और सूरज फिर से त्वचा पर होगा
और आजादी होगी
एक संगीत समारोह में चिल्लाने की
जैसे हमारे पास हमेशा से थी
और अचानक एक दूसरे की आँखों में देखो और फिर कहो
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
आंख में एक दूसरे को देखो और फिर कहो
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
आंख में एक दूसरे को देखो और फिर कहो
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
एक दूसरे की आँखों में देखो और फिर कहो
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
मुझे यह पता है
कहो
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
आंख में एक दूसरे को देखो और फिर कहो
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
आंख में एक दूसरे को देखो और फिर कहो
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
आंख में एक दूसरे को देखो और फिर कहो
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
मुझे यह पता है
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा
सब कुशल-मंगल हो जायेगा