तुम पैदा हुए जिस रोज, आए जहां में
बेहद खुश थे मां-बाप तुम्हारे आने में
उनके हाथ बने पसंदीदा तुम्हे जहां में
अनजान मां-बाप तुम्हारे,
सोचते, फिक्रमंद रहे क्या करें कैसे करें
सोने पर भी तुम्हें तकते रहे
रातों में, बेनिंद रातों में अक्सर मां
जगती रही, दूध तयार करती रही तुम्हारे लिए
दिन के उजाले में अब्बा की गोद में
तुम खेलते, बेहद खुश थे वो तुम में
तुम अब बढे हो गये हो
सब खुद से करने की अब चाह है तुम्हें
मना करें, पर रोक न सकें मां-बाप तुम्हें
कितने बदलते गए तुम
नाफर्मानी से हठधर्मी बनते गए तुम
उनकी सलाह ना मान बढते गए तुम
तुम्हे फुरसत कहाँ के
सोंच सको क्या क्या किया उन्होंने तुम्हारे लिए
बस अपनी खुशी, अपने ख्वाहीश की खातीर
उन्हे अनदेखा कर के चलते रहे
वक्त बितता गया
और तुमने जिंदगी की गलत मोड ले ली
बदचलनी तुम्हे सलाखों के पिछे ले गयी
तुम मिले
रोती बिलगती मां से
उसने पुछा देख के तुम्हे, हाय बेटा क्या हो गया तुम्हे
यकबयक अश्क बहे तुम्हारी आखं से
अनजाने में बेखबर से
इस ऐहसास से पशेमां थे तुम
गलती तुम्हारी थी, गलत थे तुम