अब से कुछ ही देर में
अगर मैं नहीं महसूस करूँ थोड़ा कम कड़वा
करता खुद से वादा जश्न मनाऊँगा खुद के साथ
और जाऊँगा पास के टॉवर
ऊपर उसके चढ़के
वहाँ से नीचे लगाऊँगा छलाँग
इस आशा में की बात
किसी को साफ़ हो जाये
कैसा लगे जब तुम हिल जाओ दिल से
कोई छोड़ के चला जाये अधर में
चर्च में जहाँ लोग बोलते
मेरे ईश्वर,यह बहुत मुश्किल,उसने ना छोड़ा साथ
कोई मतलब नहीं हमारे रिश्ते का
हम दोनो भी अब चलते हैं घर
जैसे मैं पहुँचा खुद अपने आप
फिर से अकेले, नेचुरली
सोचूँ तो जैसे कल की हो बात
मैं था ख़ुशहाल,आशावादी और प्रसन्न
देखता भविष्य की ओर,वेल, कौन नहीं ऐसा करता
अपना रोल जो अब निभाना था
पर, जैसे किसी ने हमला कर गिरा दिया
सच्चाई आ गयी सामने
और बिना कुछ महसूस कराते हुए
मेरे सेकड़ो टुकड़े कर गई
इस उलझन में छोड़ के मुझे
ईश्वर की बातें और उनकी दया जो
कौन, अगर वो सच में हैं मौजूद
क्यूँ छोड़ गये मुझे अकेला?
मेरी ज़रूरत की घड़ी में
हाँ सच में ,हूँ मैं
फिर से अकेले, नेचुरली
लगता हैं मुझे कि और भी हैं दिल
जो टूटे हुए जिनको ना जोड़ा जा सकता
नहीं कोई देता उन पर ध्यान
तो हम क्या करे ?
तो हम क्या करे ?
फिर से अकेले, नेचुरली
अब, जब देखूँ बीते साल
और जो कुछ भी हुआ था
याद आया मैं रोया था जब हुई थी मेरे पिता की मृत्यु
नहीं सोचा कभी छुपाऊँ अपने आँसू
और पेंसट साल में
मेरी माँ ,ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे
नहीं समझ सकी कभी कि, क्यूँ सिर्फ़ यही एक
व्यक्ति
जिससे उन्होंने किया इतना प्यार दूर हो गया
छोड़ के उनको शुरू करने ज़िंदगी फिर से
एक टूटे हुए दिल के साथ
मेरे होसला बढ़ाने के बावजूद
कभी कुछ ना बोली
और जब वो भी चली गई
मैं रोता ही रहा सारे दिन
फिर से अकेले, नेचुरली
फिर से अकेले, नेचुरली