मेरी सुशीलआत्मा, तुम चले गए
इतनी जल्दी जीवन से ऊब गए
तुम वहाँ परलोक में सदा विश्राम करो,
और मुझे पृथ्वी पर हमेशा दुखी रहना होगा ।
अगर उस अतींद्रिय लोक में जहाँ तुम पहुँच गए हो ,
इस जीवन की स्मृति की अनुमति है,
तो उस उद्दीप्त अनुराग को मत भूलना
जो मेरी निर्मल आँखों में तुमने देखा है।
और अगर तुम्हे लगता है कि तुम
उस बेइलाज दर्द की वजह हो
जो मैं तुम्हारे जाने के बाद झेल रही हूँ
तो उस भगवान से विनती करना जो तुम्हे अल्पायु में अपने साथ ले गया
कि जल्द ही वह मुझे तुम्हें देखने के लिए ले जाएगा,
क्योंकि मेरी आँखों से इतनी जल्दी वह तुम्हें ले गया।