आहिस्ता आहिस्ता मुझे यक़ीन हो गया
आहिस्ता आहिस्ता यह दिल कहीं खो गया
यूँ गिरा गिरा है चाँद या
तेरी है रौशनी
यूँ उड़ी उड़ी सी है ज़मीं
आहिस्ता
हुआ यह पहली बार
मुझे हो गया है प्यार
देख लूँ यह ख़्वाब मैं
कि रातों में तू आके यह कहेगा
कि तू जी रही है मेरी ज़िन्दगी
सोची क्या बात है
यह आँखों से तू धीरे से सुनेगा
क्यों न रोक लूँ मैं यह दिन यहीं
किसीसे भी न
कहेंगे हम न
यहीं पे खो जाएँगे
मुझसे इक पल मिला
ये लम्हे सारे सब से छुपा लो
तेरी जो कहानी सुना चला
और उस पल में ही
तुम आके मुझे अपना बना लो
मुझको मेरा हर इक कल मिला
फूलों का हम न
लेके बिछाऊँगा
ख़्वाबों में खो जाएँगे