ऐ सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी हैं
उस ही मालिक ने मुझे भी तो मोहब्बत दी हैं
फूल उठा ले तो कलाई में लचक आ जाये
तुझ हसीना को खुदा ने वो नज़ाकत दी हैं
मैं जिसे प्यार से छू लू, वो ही हो जाये मेरा
उस ही मालिक ने मुझे भी तो मोहब्बत दी हैं
मैं गुजरता ही गया तेरी हसीन राहों से
एक तेरे नाम ने क्या क्या मुझे हिम्मत दी हैं
मेरे दिल को भी ज़रा देख कहा तक हू मैं
उस ही मालिक ने मुझे भी तो मोहब्बत दी हैं
तू अगर चाहे तो दुनियाँ को नचा दे जालिम
चाल भी हैं तुझे मालिक ने कयामत दी हैं
मैं अगर चाहू तो पत्थर को बना दू पानी
उस ही मालिक ने मुझे भी तो मोहब्बत दी हैं