आहिस्ता आहिस्ता, आहिस्ता आहिस्ता
निंदियाँ तू आ, इन दो नैनों में
हलके से होले से, कुछ सपने भोले से
निंदियाँ तू ला, इन दो नैनों में
बहे सोयी सोयी जैसे सारी हवायें, समा भी है सोया सोया सा
निंदियाँ रे, निंदियाँ रे, तू मेरे अंगना रे, आ जा रे
इन झुकती पलकों पे छा जा रे
मुलायम मुलायम सी नीली नीली रात है
थपकती हैं इस दिल को यादें कई
यादों के पालने में कोई खोयी खोयी बात है
ओ निंदियाँ अब आ के तू मेरी बीती लोरी गा के
मेरे खोये सपने दिखला दे
यादों का पलना झुला दे
महकी हवा की रेशमी चादर कहो तो बिछा दूँ
नील गगन से चाँद को ले के तकिया बना दूँ
चांदनी ला के तुम को ओढ़ा के मैं गुनगुनाऊँ गीत कोई
उस पल ही चुपके से फिर निंदियाँ आ जाये
पलकों पे जैसे ठहर जाये
मीठी मीठी निंदियाँ आये