आ चल के तुझे मैं लेके चलू, एक ऐसे गगन के तलें
जहाँ गम भी ना हो, आँसू भी ना हो, बस प्यार ही प्यार पलें
सूरज की पहली किरण से, आशा का सवेरा जागे
चंदा की किरण से धूलकर, घनघोर अंधेरा भागे
कभी धूंप खिले, कभी छाँव मिले, लंबी सी डगर ना खले
जहा दूर नज़र दौड़ाए, आज़ाद गगन लहराये
जहा रंगबिरंगे पंछी, आशा का संदेसा लाये
सपनों में पली, हसती वो कली, जहाँ शाम सुहानी ढले
सपनों के ऐसे जहाँ में,जहाँ प्यार ही प्यार खिला हो
हम जा के वहा खो जाये, शिकवा ना कोई गीला हो
कही बैर ना हो, कोई गैर ना हो, सब मिल के यूँ चलते चले