जब मैं ७ साल का था, मेरी माँ कहती थीं,
"बेटा जाओ जाकर दोस्त बनाओ वरना रहोगे अकेले!"
जब मैं ७ साल का था।
दुनिया बहुत बड़ी थी, पर सोंचा था और बड़ी होगी,
सीमाए लांग कर, सोंच अपनी बड़ी होगी,
११ साल का होते-होते पीने और फूंकने लगा,
पैसे ज़्यादा न थे तो काम ढूँढने लगा।
जब मैं ११ साल का था, पिताजी कहते थे,
"शिदी कर लो वरना रहोगे अकेले!",
जब मैं ११ साल का था।
सपनों मैं मेरे, पिताजी हरदम सामने थे,
इसी कारण मैने लिखे, काहानीयाँ और गाने थे,
पर उस शोहरत में फिर भी कुछ कमी थी,
क्योंकि जो मुझे जानते हैं, वह मेरे अपने थे।
जब मैं २० साल का था, मेरी काहानी शुरू हुई,
सुबह से पहले जब मैं था अकेला,
जब मैं २० साल का था।
लक्ष्य थे सामने, न दिखी मुझे विफलता,
क्यूकि छोटी चीज़ो से ही बनती असफलता,
मेरे दोस्त हैं मेरे साथ याहां,
और मिले अगर हम तो फिर मिलना।
जब मैं २० साल का था, मेरी काहानी शुरू हुई,
लिखा वह जो भी सामने था आँखों के,
जब मैं २० साल का था।
जब हम ३० के होंगे, मेरे गाने बिक चुके होंगे,
सैर करेंगे हम दुनिया की,
जब हम ३० के होंगे।
जीवन अब भी सीखना है,
और मेरे बच्चों को अब,
सुनाता हूँ मैं गाने,
और बताता हूँ काहानी,
दोस्त मेरे अब भी हैं साथ,
कुछ है अब भी अपने सफर पर,
और कुछ जिने छीड़ा,
उनसे है माफ़ी।
जब मैं ६० का होंगा, पिताजी ६१ के होंगे,
याद जीवन की करती जीवन को बहतर,
खुशी लाई मैंने जब किसी को लिखी चिट्ठी एक बार,
काश मेरे बच्चे हों मेरे साथ।
जब मैं ६० का होंगा, न जाने ज़िंदगी कैसी होगी?
क्या दुनिया सर्द होगी या मेरे बच्चे मुझे देंगे सहारा?
जब मैं ६० का होंगा।
जब मैं ६० का होंगा, न जाने ज़िंदगी कैसी होगी?
क्या दुनिया सर्द होगी या मेरे बच्चे मुझे देंगे सहारा?
जब मैं ६० का होंगा।
जब मैं ७ साल का था, मेरी माँ कहती थीं,
"बेटा जाओ जाकर दोस्त बनाओ वरना रहोगे अकेले!"
जब मैं ७ साल का था।
जब मैं ७ साल का था।