कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो, हरेक बात पे रोना आया
कभी ख़ुद पे...
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको
क्या हुआ आज, ये किस बात पे रोना आया
कभी ख़ुद पे...
किस लिए जीते हैं हम, किसके लिए जीते हैं
बार-हा ऐसे सवालात पे रोना आया
कभी ख़ुद पे...
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया
कभी ख़ुद पे...