current location : Lyricf.com
/
/
विजय भव [Vijayi Bhava]
विजय भव [Vijayi Bhava]
turnover time:2024-10-06 02:51:51
विजय भव [Vijayi Bhava]

तिनका तिनका था हमने सँवारा

आपनी वो माटी और घर-बारा

लूट रहा ये चमन

आपना वतन आँखो से आपनी

लूट रहा ये चमन

आपना वतन आँखो से आपनी

संकल्प बोल के हम तो निकल पड़े

हर द्वार खोल के

गगन कहे विजय भव

विजय भव

गगन कहे विजय भव

आब लपट लपट का तार बने

और आग्नि सी द्वार बने

आब चले आँधियाँ सनन सनन

गूँजे जैयकार बने

हर नैन नैन में ज्वाला हो

हर हृदय हृदय में भाला हो

हर कदम कदम में

सेना की सच्ची ललकार बने

आब भटक भटक आँगारो को

उड़ता चिंगार बने

है रात की सुरंग

भटकी है रौशनी

है छटपटा रही रौशनी

गगन कहे विजय भव

सौंधे सौंधे में

पे मारो हृदय हो गयी बाँवरी

भोली सी तेरी बाँसुरी खो गयी, सांवरे

घायल है तेरा जल तू नदी है राह बदल

पानी बुलबुला रहा है कल-कल-कल

तू निकल, तू निकल..

माटी ने तेरी आज पुकारा

धरती ये पूछे बारंबारा

लूट्ट रहा यह चमन

तेरा वतन आँखो से आपनी

लूट्ट रहा यह चमन

तेरा वतन आँखो से आपनी

संकल्प बोल के हम तो निकल पड़े

हर द्वार खोल के

गगन कहे विजय भव

विजय भव

गगन कहे विजय भव

हो.. विजयी भव

Comments
Welcome to Lyricf comments! Please keep conversations courteous and on-topic. To fosterproductive and respectful conversations, you may see comments from our Community Managers.
Sign up to post
Sort by