चल बर्फ़ का पुतला बनाये
आओ खेलने चले
जाने कब से हो तुम अंदर
आओ बाहर,कब से हम ना मिले
अपनी थी पक्की दोस्ती
पर क्या हुआ इतना तो बता दो ना
क्या बर्फ़ का पुतला बनाये
या करते जो तुमको भाए
जाते हो
चल बर्फ़ का पुतला बनाए
या घर में साइकल हम चलाये
हूँ अकेली जाने कब से मैं
लगने लगा है तस्वीरें मुझे बुलाये
क्या हाल है दोस्त
कितनी हैं तन्हाई
इस घर में यह घड़ी टिक टिक करती जाए
एल्सा..प्लीज़ कुछ तो कहो ना
ख़बर माँगे तुम्हारी सब
समय हैं मुश्किल और मैं क्या करूँ
थोड़ा सा मैं डरूँ
मिलूँगी कब
हमारा और कौन है,बस तुम और मैं
बोलो अब क्या करूँ
क्या बर्फ़ का पुतला बनाये